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क्या आपको अक्सर सिर में दर्द होता रहता है? कुछ स्थितियों जैसे तेज शोर, तेज रोशनी, ठंड या गर्मी के कारण ये समस्या बढ़ जाती है? अगर हां तो सावधान हो जाइए, ये माइग्रेन का लक्षण हो सकता है। माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो मुख्यरूप से सिर के एक हिस्से में दर्द, असहजता और उल्टी-मितली जैसी दिक्कतें पैदा करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर आपको अक्सर माइग्रेन होता रहता है तो इसपर गंभीरता से ध्यान दें। कुछ मामलों में माइग्रेन अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या के कारण होने वाली समस्या भी हो सकती है, इसके अलावा दीर्घकालिक रूप में माइग्रेन कई प्रकार की गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, माइग्रेन क्यों होता है इसका सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, हालांकि कुछ स्थितियां इसको बढ़ाने वाली हो सकती हैं। यदि आपके परिवार में किसी को माइग्रेन की समस्या रही है, तो अन्य लोगों में भी इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मस्तिष्क में कुछ प्रकार के रसायनिक असंतुलन के कारण भी ये समस्या हो सकती है। डॉक्टर कहते हैं, इस समस्या पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।

पोषक तत्वों की कमी और माइग्रेन का खतरा

अध्ययनों से पता चलता है कि शरीर में कुछ प्रकार के विटामिन्स और मिनरल्स की कमी के कारण भी माइग्रेन की समस्या हो सकती है या फिर ये ट्रिगर हो सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि माइग्रेन से पीड़ित लोगों में मैग्नीशियम की कमी होने की आशंका दूसरों की तुलना में अधिक होती है। अध्ययनों से पता चलता है कि मैग्नीशियम का सप्लीमेंट लेने से माइग्रेन के सिरदर्द को रोकने में मदद मिल सकती है। इस विषय पर किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि डॉक्टर की सलाह पर अगर एक ग्राम मैग्नीशियम सप्लीमेंट लिया जाए तो आम दवा की तुलना में ये तीव्र माइग्रेन अटैक को कम करने में प्रभावी हो सकती है। आहार में मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करने से सिरदर्द की समस्या से बचाव करने में मदद मिल सकती है।

माइग्रेन के कारण स्ट्रोक का खतरा

माइग्रेन का आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि माइग्रेन से पीड़ित लोगों में अवसाद, चिंता और घबराहट संबंधी विकारों जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक होती है। इसके अलावा माइग्रेन से पीड़ित लोगों में नींद संबंधी विकारों का खतरा भी अधिक देखा जाता रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में इस बात को लेकर भी चिंता जताई गई है कि माइग्रेन की दीर्घकालिक स्थित आपके जीवनकाल में इस्केमिक स्ट्रोक होने के जोखिम को लगभग दोगुना कर सकती है।

माइग्रेन रोगियों को बरतनी चाहिए सावधानी

अध्ययनकर्ता कहते हैं, यह प्रमाणित नहीं होता है कि माइग्रेन की समस्या सीधे तौर पर स्ट्रोक का कारण बनती है, हालांकि अगर आपको माइग्रेन है तो आपको स्ट्रोक का खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है। माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति जो धूम्रपान भी करते हैं उन्हें स्ट्रोक का जोखिम अधिक होता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ठंड के प्रति संवेदनशील लोगों को माइग्रेन होने की आशंका अधिक होती है। ऐसे में सर्दियों में सिरदर्द, खासतौर पर माइग्रेन से बचाव के लिए प्रयास करते रहना बहुत आवश्यक हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि आप ठंड से बचाव करें। दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करने से आपको लाभ मिल सकता है, व्यायाम करने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है जो इसके जोखिमों को कम कर सकता है। सर्दियों में सिर को अच्छे से कवर करें, इससे भी माइग्रेन से बचाव किया जा सकता है।

(साभार)

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