Flash Story
चारधाम यात्रियों की संख्या में हो रहा है इजाफा- महाराज
चारधाम यात्रियों की संख्या में हो रहा है इजाफा- महाराज
यात्रा मार्ग पर 25 स्थानों पर मिल रही ई चार्जिंग की सुविधा
यात्रा मार्ग पर 25 स्थानों पर मिल रही ई चार्जिंग की सुविधा
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
चुनाव में पारदर्शिता के लिए आयोग सख्त, व्यय विवरण न देने वालों पर होगी कार्रवाई
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  
क्या आप भी करते हैं गर्मियों में अधिक आम का सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान  
भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
भारत का रक्षा निर्यात नई ऊंचाइयों पर, आत्मनिर्भरता बनी सफलता की कुंजी- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
एक लाख की रिश्वत के साथ आईएसबीटी चौकी प्रभारी गिरफ्तार
एक लाख की रिश्वत के साथ आईएसबीटी चौकी प्रभारी गिरफ्तार
आईटीडीए को मजबूत करने के निर्देश, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सिस्टम अपग्रेड का आह्वान
आईटीडीए को मजबूत करने के निर्देश, भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सिस्टम अपग्रेड का आह्वान
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक 
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक 
दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में नाविक सैटेलाइट की भूमिका महत्वपूर्ण- महाराज
दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने में नाविक सैटेलाइट की भूमिका महत्वपूर्ण- महाराज

गरीब को पांच किलो अनाज

गरीब को पांच किलो अनाज

हरिशंकर व्यास
प्रधानमंत्री की बताई चार जातियों में से एक जाति गरीब की है, जिसके बारे में सरकार की ओर से दावा है कि पिछले नौ साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। अंतरिम बजट से पहले सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया, जिसे बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दोहराया। हालांकि भारत में गरीबों की संख्या के आकलन का कोई स्पष्ट आधार नहीं है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण विभाग यानी एनएसएसओ की ओर से 2017-18 में गरीबी का आंकड़ा जारी करने वाला था, जिसे सरकार ने रोक दिया था। इस तरह 2011 के बाद से गरीबी का औपचारिक आंकड़ा जारी नहीं हुआ है। फिर भी सरकार का दावा है कि 25 करोड़ को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकाला है।

अब कितने गरीब बचे हैं इसका आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। वैसे भी न तो गरीबी के आंकड़े जारी हुए हैं और न 2011 के बाद जनगणना हुई है। हर दस साल पर होने वाली जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन 2020 में आए कोरोना की वजह से इसे रोक दिया गया। बाद में सारे चुनाव हुए और दूसरी तमाम गतिविधियां हुईं लेकिन जनगणना नहीं हुई। इसलिए भी आबादी और उसकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति के बारे में सरकार के पास कोई औपचारिक डाटा नहीं है। कोरोना के बीच सरकार ने पांच किलो अनाज मुफ्त देने की योजना शुरू की थी, जिसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना नाम दिया गया। इसे दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना बना कर प्रचारित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में चुनाव के दौरान पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी ने इसे पांच साल के लिए बढ़ाने का ऐलान किया। यानी 2028 तक देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को पांच किलो अनाज मिलता रहेगा। अब यह पता नहीं है कि जो 25 करोड़ गरीबी से बाहर निकल गए हैं उनको पांच किलो अनाज मिल रहा है या नहीं? अगर उसे छोड़ें तब भी कम से कम 80 करोड़ गरीब तो है ही, जिनको पांच किलो अनाज मिल रहा है।

अगर विश्व बैंक की रिपोर्ट को आधार मानें तो भारत की 10 फीसदी आबादी गरीब है। उसकी गरीबी का पैमाना यह है कि किसी व्यक्ति को 2.15 डॉलर रोज यानी करीब 175 रुपए रोज की आमदनी हो रही है या नहीं। इस पैमाने का मतलब है कि 52 सौ रुपए महीना कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। सोचें, इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में 14 करोड़ के करीब लोग हैं, जो 175 रुपया रोज नहीं कमा पाते हैं। इसके थोड़ा ऊपर यानी जिसको गरीबी रेखा से ठीक ऊपर यानी एपीएल माना जाता है उनकी आबादी इससे बहुत ज्यादा होगी। यह स्थिति तब है, जब केंद्र की सरकार पिछले 10 साल से दावा कर रही है कि वह गरीब कल्याण के लिए समर्पित है। लेकिन गरीब कल्याण का कुल जमा मतलब यह है कि उसे पांच किलो अनाज मिल रहा है। कुछ लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिल रहे हैं और कहीं शौचालय बन रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top