Flash Story
नेशनल गेम्स- वाॅलंटियर बनने का क्रेज, तैयारी तेज
नेशनल गेम्स- वाॅलंटियर बनने का क्रेज, तैयारी तेज
महाराज ने पोखड़ा विकासखंड को 5 करोड़ 17 लाख की विकास योजनाओं की दी सौगात 
महाराज ने पोखड़ा विकासखंड को 5 करोड़ 17 लाख की विकास योजनाओं की दी सौगात 
माता- पिता को गौरवान्वित करना बनाइए लक्ष्य- रेखा आर्या
माता- पिता को गौरवान्वित करना बनाइए लक्ष्य- रेखा आर्या
अक्षय कुमार की पहली तेलुगु फिल्म ‘कनप्पा’ की रिलीज तारीख का ऐलान, नया पोस्टर आया सामने
अक्षय कुमार की पहली तेलुगु फिल्म ‘कनप्पा’ की रिलीज तारीख का ऐलान, नया पोस्टर आया सामने
दून विवि की छात्रा को मिला सावित्री बाई फुले फेलोशिप पुरस्कार
दून विवि की छात्रा को मिला सावित्री बाई फुले फेलोशिप पुरस्कार
भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा, प्रेस कॉन्फ्रेंस में की घोषणा
भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा, प्रेस कॉन्फ्रेंस में की घोषणा
हाईकोर्ट ने कहा, प्रदेश सरकार 14 दिन में बताएं कि पंचायत चुनाव कब होंगे
हाईकोर्ट ने कहा, प्रदेश सरकार 14 दिन में बताएं कि पंचायत चुनाव कब होंगे
फेसवॉश लगाने से स्किन ड्राई हो जाती है, तो लगाएं ये फेस पैक, चेहरे पर आएगी चमक
फेसवॉश लगाने से स्किन ड्राई हो जाती है, तो लगाएं ये फेस पैक, चेहरे पर आएगी चमक
केन्द्र सरकार ने प्रदेश को आपदा प्रबन्धन के लिए स्वीकृत किये 1480 करोड़
केन्द्र सरकार ने प्रदेश को आपदा प्रबन्धन के लिए स्वीकृत किये 1480 करोड़

मैं हूं मोदी का परिवार- विपक्ष का विरोध हास्यास्पद

मैं हूं मोदी का परिवार- विपक्ष का विरोध हास्यास्पद

अवधेश कुमार
मैं हूं मोदी का परिवार टैगलाइन 2024 के चुनाव का एक प्रमुख नारा बन गया है। यह वैसे ही है जैसे 2019 लोक सभा चुनाव में ‘मैं हूं चौकीदार’ एक बड़ा नारा बना और सर्वे बताते हैं कि उसका असर चुनाव पर हुआ। आम धारणा यही है कि ‘मैं हूं मोदी का परिवार’ 2024 लोक सभा चुनाव में मतदाताओं के मतदान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने का एक कारक बन सकता है।

3 मार्च को बिहार की राजधानी पटना में गठबंधन की रैली में लालू प्रसाद यादव जी ने कल्पना नहीं की होगी कि वह जो कुछ बोल रहे हैं उसकी ऐसी प्रतिक्रिया हो सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिवारवाद पर हमला करने का अपने तरीके से जवाब ही दिया था। उसमें यह पूछने की क्या आवश्यकता थी कि मोदी बताएं कि उनका कोई परिवार क्यों नहीं है, संतान क्यों नहीं है? वह यहां तक चले गए कि कह दिया कि मोदी हिंदू भी नहीं हैं।

माता-पिता की मृत्यु पर उनके बच्चे अपने बाल दाढ़ी सब साफ करवाते हैं, जबकि उन्होंने नहीं किया। ऐसे हमले पर प्रतिहमला स्वाभाविक था। प्रधानमंत्री मोदी ऐसे हमले का आक्रामक और लोगों के दिलों को स्पर्श करने वाली भाषा शैली में प्रत्युत्तर देने में प्रवीण है। इसलिए उन्होंने कहा कि आज इंडिया गठबंधन के लोग, जो परिवारवाद, भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं, वह मुझसे मेरे परिवार के बारे में पूछते हैं, 140 करोड़ भारतीय ही मेरा परिवार है।

2019 आम चुनाव के पहले से राहुल गांधी राफेल विमान को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसी तरह निशाने पर ले रहे थे। उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगाया था। ‘चौकीदार चोर है’ के समानांतर प्रधानमंत्री ने ‘मैं भी चौकीदार’ का नारा दिया और देखते-देखते भाजपा नेताओं कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर मैं भी चौकीदार में अपना परिचय लिख दिया। राहुल गांधी और पूरे विपक्ष के लिए यह उल्टा पड़ गया। प्रश्न है कि क्या ‘मैं हूं मोदी का परिवार’ नारा भी  विपक्ष के लिए फिर उल्टा पड़ जाएगा? यह ऐसा भावनात्मक विषय है जो लोगों के दिलों पर सीधा असर डालता है। हमारे देश में अविवाहित रहकर यानी परिवार न बसा कर या परिवार का त्याग कर देश, समाज, धर्म की सेवा या आत्म साधना में जीवन लगाने वालों की बड़ी संख्या है। राजनीति में सभी विचारधाराओं में ऐसे लोग रहे हैं जिनका सम्मान समाज में हमेशा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार इस मामले में इसलिए शीर्ष पर हैं क्योंकि वहां जीवनदानी प्रचारकों की सबसे ज्यादा संख्या है।

समाजवादियों में भी ऐसे लोग रहे हैं। समाजवादी नेताओं ने भी अपने जीवन काल में वंशवाद और परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाया, पर प्रत्युत्तर में इस तरह उनके परिवार न होने पर किसी ने प्रश्न नहीं उठाया। उठाया भी नहीं जाना चाहिए। मोदी आज प्रधानमंत्री हैं तो लगता है कि उनके पास सारे सुख साधन हैं और इसलिए हमला करने पर लोग प्रभावित हो जाएंगे। उन्होंने जब परिवार से अलग होकर संघ का प्रचारक बनकर अपनी विचारधारा के अनुरूप राष्ट्र सेवा का व्रत लिया होगा तो इसकी कल्पना नहीं रही होगी कि राजनीति में किसी समय में शीर्ष पर जा सकते हैं। उस समय जनसंघ या बाद में भाजपा की हैसियत इतनी बड़ी नहीं थी और जितनी थी उनमें बड़े कद के नेताओं की भी इतनी लंबी कतार थी कि देश एवं अनेक राज्यों की सत्ता में आने पर शीर्ष नेता होने का सपना संजोए जाए।

सैंकड़ों की संख्या में ऐसे जीवन दानी संघ परिवार के साथ-साथ अनेक गैर राजनीतिक राजनीतिक संगठनों में लोग पहले भी थे और आज भी हैं। या देश का दुर्भाग्य है कि हम राजनीतिक तू तू मैं मैं इस विषय को घसीटते हैं। वास्तव में आज पार्टयिों में एक ही परिवार से निकले हुए लोगों के हाथों नेतृत्व और निर्णय की मुख्य कमान रहने राजनीति का सबसे बड़ा रोग बना हुआ है। इसके कारण योग्य, ईमानदार, सक्षम और समर्पित लोगों का उनकी क्षमता के अनुसार राजनीति में अवसर मिलना बाधित है।

व्यवस्था में ऐसे लोग भी परिवारवादी नेतृत्व के समक्ष नतमस्तक होकर हां-में-हां मिलाने और अपने को उनके साथ एडजस्ट करने को विवश हैं। ज्यादातर परिवारवादी नेतृत्व ने सत्ता का हर स्तर पर दुरु पयोग किया है। देख लीजिए इनमें ज्यादातर के परिवार या वे स्वयं भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। लालू प्रसाद यादव को तो चारा घोटाले के तीन मामलों में सजा भी मिल चुकी है। किसी राजनीतिक परिवार से अगली पीढ़ी का राजनीति में सक्रिय होना और परिवार के हाथों ही नेतृत्व सिमटे रहने में मूलभूत अंतर है।

परिवारवादी नेतृत्व वालों पर हमला होगा या उनकी आलोचना होगी तो निश्चित रूप से वे तिलमिलाएंगे। इसका उत्तर यह नहीं हो सकता जो लालू प्रसाद यादव जी ने दिया है। यह राजनीतिक विरोधियों की आलोचना के संदर्भ में स्थापित मर्यादाओं का दुर्भाग्यपूर्ण अतिक्रमण है। हालांकि लालू यादव के वक्तव्य का सही अर्थ समझना भी कठिन है। वे कहते हैं कि जिनके ज्यादा बच्चे हैं उन पर वह प्रश्न उठते हैं और कहते हैं कि परिवारवाद को बढ़ावा दे रहा है तो वह बताएं कि उनके परिवार क्यों नहीं है?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तरीके से बता दिया कि उनका परिवार क्यों नहीं है। उनके पार्टी और समर्थकों ने बता दिया कि उनका एक बड़ा परिवार है। इसका लालू प्रसाद यादव और उनके समर्थकों के पास क्या उत्तर हो सकता है? जो उत्तर वह देंगे या दे रहे हैं क्या वह लोगों के अंतर्मन को वाकई छू पाएगा? कतई नहीं। सच यही है कि परिवारवादी नेतृत्व या परिवार के कारण योग्य अक्षम लोगों का राजनीति में प्रभावी होने जैसी दुष्प्रवृत्ति का कोई सकारात्मक उत्तर दिया ही नहीं जा सकता है। जिस मंच पर लालू जी ने प्रधानमंत्री पर हमला किया उसी से उन्होंने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को राजनीति में लॉन्च भी किया। लालू जी का मोदी पर हमला दुर्भाग्यपूर्ण व दुखद है।

भाजपा समर्थक इस तरह के हमले को आसानी से सहन नहीं कर सकते। तो यह मोदी के साथ-साथ लाखों लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाने जैसा है जिसकी प्रतिक्रिया जगह-जगह दिखाई देनी स्वाभाविक है। जिस तरह 2019 में जगह-जगह भाजपा के नेता, समर्थक और कार्यकर्ता ‘मैं हूं चौकीदार’ का नारा लगाते थे और आम लोग भी उनके साथ आ जाते थे; ठीक वही दृश्य इस चुनाव में आने वाले समय में दिखाई पड़ेगा। कार्यकर्ता लोगों के बीच जाएंगे और कहेंगे कि देखिए मोदी जी ने तो देश के लिए अपना जीवन लगा दिया। नि:संदेह इसका व्यापक और प्रभावी असर होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top