उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 10 सीटें खाली हो रही हैं, जिसके लिए 27 फरवरी को चुनाव होना है। विधानसभा की संख्या के लिहाज से भाजपा को सात और समाजवादी पार्टी को तीन सीटें मिलेंगी। दोनों पार्टियों ने पहले अपने अपने कोटे की सीटों के लिए उम्मीदवार की घोषणा की थी। लेकिन नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन यानी गुरुवार को भाजपा ने अपना आठवां उम्मीदवार चुनाव में उतार दिया। अगर यह उम्मीदवार नहीं आता तो सभी 10 लोग निर्विरोध चुने जाते। लेकिन अब चुनाव की नौबत आ गई है। अगर नाम वापसी के दिन कोई उम्मीदवार नाम वापस नहीं लेता है तो 27 फरवरी को चुनाव होगा। भाजपा ने आठवां उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के पुराने नेता संजय सेठ को बनाया है। सपा ने उनको 2016 में राज्यसभा में भेजा था। 2022 में कार्यकाल पूरा होने के बाद वे भाजपा में चले गए थे। अब उनके जरिए सपा के एक उम्मीदवार को हराने के लिए भाजपा ने दांव चला है।
इस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में चार सीटें खाली हैं। सो, 399 की संख्या के लिहाज से एक सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरुरत है। भाजपा के अपने 252 सदस्य हैं। इसके अलावा अपना दल के 13 और निषाद पार्टी व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के छह-छह विधायक हैं। पिछले दिनों सपा का साथ छोड़ कर आए राष्ट्रीय लोकदल के नौ सदस्य हैं। इस तरह एनडीए के विधायकों की कुल संख्या 286 हो जाती है। उसे अपने सात सदस्यों की जीत के लिए 259 वोट की जरुरत है। उसके बाद उसके पास 27 वोट अतिरिक्त बचते हैं। दूसरी ओर रालोद के अलग होने के बाद सपा के पास अपने 108 और कांग्रेस के दो विधायक हैं। उसे तीन सीट जीतने के लिए 111 वोट की जरुरत है। यानी उसके पास एक वोट कम पड़ रहा है।
इस बीच अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल ने उम्मीदवारों पर सवाल उठाते हुए कह दिया है कि वे वोट नहीं करेंगी। वे सपा के चुनाव चिन्ह पर जीती हैं इसलिए अगर वोट नहीं करती हैं तो सपा को दो अतिरिक्त वोट की जरुरत होगी। बताया जा रहा है कि रालोद के नौ में से चार विधायक ऐसे हैं, जो सपा के नेता हैं। सो, दोनों तरफ से क्रॉस वोटिंग की संभावना जताई जा रही है। सपा ने जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन को उम्मीदवार बनाया है। जया बच्चन और आलोक रंजन को लेकर पार्टी नेताओं में नाराजगी है। इसलिए कहा जा रहा है कि कई विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। जो हो भाजपा ने यूपी में राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प बना दिया है।