Flash Story
सीएम धामी ने पीएम जनमन योजना के लाभार्थियों को प्रदान किए प्रमाण पत्र
पीएम स्वनिधि योजना में उत्तराखंड ने हासिल किया शत – प्रतिशत लक्ष्य
दिल्ली में केदारनाथ मंदिर को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर हताश विपक्ष को तीर्थ पुरोहितों ने खुद दिया जवाब
कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए आज हर की पैड़ी पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, मां गंगा को नमन कर लगाई आस्था की डुबकी
उत्तराखंड पीसीएस मुख्य परीक्षा स्थगित, आयोग ने जारी की सूचना
पेड़-पौधे लगाते समय हो जाएं सावधान, नहीं तो बढ़ सकता है इन 6 बीमारियों का खतरा
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने केदारनाथ उपचुनाव में तेज किया प्रचार, कांग्रेस पर किए तीखे हमले
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए GRAP-3 लागू, आज से कई गतिविधियों पर प्रतिबंध
श्रीनगर बैकुंठ चतुर्दशी मेला राज्य की अनमोल धरोहर- मुख्यमंत्री

लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा घर, 56 साल बाद दी अंतिम विदाई 

लोगों ने नारायण सिंह अमर रहे के लगाए नारे 

पार्थिव शरीर को गाैचक हेलीपैड पर दी गई सलामी 

कर्णप्रयाग। उत्तराखंड चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी के लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद अपने घर पहुंचा। इस दौरान लोगों ने नारायण सिंह अमर रहे के नारे लगाए। छह गनेडियर रुद्रप्रयाग की बटालियन ने पार्थिव शरीर को गाैचक हेलीपैड पर सलामी दी। गौचर से पार्थिव शरीर को रुद्रप्रयाग ले जाया गया। जहां से आज गुरुवार को पार्थिव शरीर की थराली कोलपुड़ी अंत्येष्टि की गई। बता दें कि नारायण सिंह वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने पर लापता हो गए थे। 56 साल बाद जिन चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं उनमें एक कोलपुड़ी गांव के नारायण सिंह का शव भी शामिल है।

कोलपुड़ी गांव के प्रधान और नारायण सिंह के भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि बीते सोमवार को सेना के अधिकारियों ने उनकी पहचान होने की सूचना दी थी। उन्होंने बताया कि जेब में मिले पर्स में एक कागज में नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी नाम दर्ज था। साथ ही उनकी वर्दी के नेम प्लेट पर भी उनका नाम लिखा था। सेना के अधिकारियों ने जयवीर सिंह को बताया कि बर्फ में शव सुरक्षित था। डीएनए सैंपल लिया गया। बताया कि रिकाॅर्ड के अनुसार नारायण सिंह सेना के मेडिकल कोर में तैनात थे।

नारायण सिंह के साथी रहे कोलपुड़ी के सूबेदार गोविंद सिंह, सूबेदार हीरा सिंह बिष्ट और भवान सिंह नेगी ने बताया कि वह बहुत सौम्य स्वभाव के थे बचपन से ही सेना के प्रति उनमें जुनून था। 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे एएमसी में नियुक्त थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top