Flash Story
शौर्य महोत्सव में बोले सीएम धामी – शहीदों का सम्मान हमारा कर्तव्य
शौर्य महोत्सव में बोले सीएम धामी – शहीदों का सम्मान हमारा कर्तव्य
देश में कोरोना का खतरा फिर गहराया, एक्टिव केस 5000 पार
देश में कोरोना का खतरा फिर गहराया, एक्टिव केस 5000 पार
प्रधानमंत्री मोदी ने कटरा से दिया एकता और विकास का संदेश, चिनाब ब्रिज को बताया भारत की ताकत का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने कटरा से दिया एकता और विकास का संदेश, चिनाब ब्रिज को बताया भारत की ताकत का प्रतीक
विक्रांत मैसी की आगामी फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ का टीजर हुआ जारी, 11 जुलाई को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म 
विक्रांत मैसी की आगामी फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ का टीजर हुआ जारी, 11 जुलाई को सिनेमाघरों में दस्तक देगी फिल्म 
केंद्रीय कृषि मंत्री ने पाववाला सोडा में किसानों से की सीधी बातचीत
केंद्रीय कृषि मंत्री ने पाववाला सोडा में किसानों से की सीधी बातचीत
पूर्वोत्तर भारत में मानसून बना मुसीबत, जनजीवन अस्त-व्यस्त, लाखों लोग प्रभावित
पूर्वोत्तर भारत में मानसून बना मुसीबत, जनजीवन अस्त-व्यस्त, लाखों लोग प्रभावित
थराली के निर्माणाधीन पुल गिरने पर तीन अभियंता निलंबित
थराली के निर्माणाधीन पुल गिरने पर तीन अभियंता निलंबित
फ्रंटलाइन वर्कर्स और आशा कार्यकर्ताओं को जिलाधिकारी ने किया सम्मानित
फ्रंटलाइन वर्कर्स और आशा कार्यकर्ताओं को जिलाधिकारी ने किया सम्मानित
एवरेस्ट विजेता रोहित भट्ट को सीएम धामी ने किया सम्मानित
एवरेस्ट विजेता रोहित भट्ट को सीएम धामी ने किया सम्मानित

अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

अंबानी-अडानी, खरबपतियों का चंदा कहां?

हरिशंकर व्यास
कैसी हैरानी की बात है कि मोदी राज में सबसे ज्यादा धंधा खरबपतियों का बढ़ा। अडानी जगत सेठ हुआ। अंबानी कुबेरपति हुआ। पैसे से भारत की संस्कृति का ढिंढोरा करता है। इनके साथ टाटा, बिड़ला सहित टॉप के बीस खरबपति दिन-दुनी, रात-चौगुनी की रफ्तार से भारत के लोगों से पैसा कमाते हुए हैं लेकिन वे इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीददारों की लिस्ट से लगभग गायब। यों कुछ जानकार शेल याकि खोखा कंपनियों से बॉन्डस लेन-देन की बारीकी तलाश रहे हैं। लेकिन मोटा मोटी मोदी सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना में जुआरियों, सटोरियों, काला बाजारियों और ठेकेदारों से ही चुनाव और राजनीति के नाम पर वसूली हुई दिखती है। और यह हैरानी की बात है।

तभी अपना सवाल है कि सरकारी प्रोजेक्टों और मुंबई, दिल्ली आदि महानगरों के ठेकेदारों, बिल्डरों की इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदने-देने के साथ सौदेबाजी का यदि सीक्वेंस है तो भला विनिवेश, खान आवंटन से लेकर अंतरराष्ट्रीय सौदों, खरीद-फरोख्त के खरबपतियों के कारोबार की वसूली का क्या रूप है? जब चिंदीमार, खोखा कंपनियों को ईडी, सीबीआई, आईटी से लाइन हाजिर करा वसूली हुई है तो खरबपतियों के लेवल का चंदा कहां गया? क्या इस रीति-नीति पर चला गया कि छोटे कारोबारी भाजपा पार्टी के लिए और वैश्विक खरबपति किसी और काम के लिए?

भला और क्या काम हो सकता है? आप ही अनुमान लगाएं। लुटियन दिल्ली में जितने मुंह उतनी बात है। मगर इतना तय है कि भारत के टॉप सौ अरबपतियों की कंपनियों में बिना इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कई नाम निकल आएंगे। और फिर यदि इनकों नौ वर्षों में मिली सरकारी कंपनियों, विनिवेश, लाइसेंसों की पूरी सूची के साथ तुलना करें तो वह क्या आंख खोल देने वाली नहीं होगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top