ऑस्ट्रेलिया। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की है कि वह 2025 तक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन की संख्या को 270,000 तक सीमित रखेगा। यह निर्णय देश में रिकॉर्ड माइग्रेशन के चलते बढ़ती प्रॉपर्टी की कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लिया गया है। शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने बताया कि कोरोना महामारी से पहले की तुलना में आज विश्वविद्यालयों और व्यावसायिक संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या काफी बढ़ गई है, इसलिए इस पर नियंत्रण आवश्यक हो गया है।
वीजा फीस में बढ़ोतरी
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने विदेशी छात्रों के वीजा शुल्क को दोगुना से अधिक बढ़ा दिया है। यह कदम प्रवासन में वृद्धि को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। कोविड-19 महामारी के दौरान, सरकार ने कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए प्रवासन की संख्या बढ़ाई थी, लेकिन अब प्रॉपर्टी बाजार में बढ़ती डिमांड के कारण इस पर नियंत्रण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
इमिग्रेशन की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर
2023 में ऑस्ट्रेलिया में इमिग्रेशन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया, जो 60% बढ़कर 548,800 हो गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत, चीन, और फिलीपींस के छात्रों के कारण हुई है। सरकार ने अब इसे 2024-25 तक 260,000 तक घटाने का लक्ष्य रखा है। नए नियमों के तहत, 2025 में विश्वविद्यालयों में लगभग 145,000 और व्यावसायिक संस्थानों में 95,000 नए छात्रों की सीमा तय की जाएगी। कोविड-19 के दौरान, ऑस्ट्रेलिया ने वार्षिक प्रवासन संख्या बढ़ाई थी ताकि कंपनियों की कर्मचारियों की कमी को पूरा किया जा सके। लेकिन प्रॉपर्टी बाजार की बढ़ती मांग के चलते अब इसे सीमित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
कनाडा ने भी किया बड़ा बदलाव
कनाडा ने भी हाल ही में भारतीय छात्रों को झटका दिया है। कनाडा सरकार ने 21 जून 2024 से विदेशी नागरिकों के पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को बंद कर दिया है। यह बदलाव सैकड़ों भारतीय छात्रों को प्रभावित करेगा और उन्हें वीजा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।