Flash Story
राष्ट्रपति ट्रंप के फैसलों और कार्यकारी आदेशों का लोगों ने शुरू किया विरोध
राष्ट्रपति ट्रंप के फैसलों और कार्यकारी आदेशों का लोगों ने शुरू किया विरोध
योगी आदित्यनाथ ने कृषि, पशुपालन और आत्मनिर्भरता पर दिया जोर
योगी आदित्यनाथ ने कृषि, पशुपालन और आत्मनिर्भरता पर दिया जोर
देशो का दायित्व है की विदेश में अवैध रूप से रह रहे नागरिक को वापस ले लिया जाए – विदेश मंत्री एस. जयशंकर
देशो का दायित्व है की विदेश में अवैध रूप से रह रहे नागरिक को वापस ले लिया जाए – विदेश मंत्री एस. जयशंकर
राजभवन में इस साल सात मार्च से होगा वसंतोत्सव का आयोजन, राज्यपाल की अध्यक्षता में लिया गया निर्णय
राजभवन में इस साल सात मार्च से होगा वसंतोत्सव का आयोजन, राज्यपाल की अध्यक्षता में लिया गया निर्णय
धारा 166,167 अंतर्गत 750 बीघा भूमि पर कब्जा वापसी हुई शुरू- डीएम सविन बंसल 
धारा 166,167 अंतर्गत 750 बीघा भूमि पर कब्जा वापसी हुई शुरू- डीएम सविन बंसल 
मुख्यमंत्री योगी ने पौड़ी गढ़वाल में मानगढ़ वासनी देवी की प्राण प्रतिष्ठा में लिया हिस्सा
मुख्यमंत्री योगी ने पौड़ी गढ़वाल में मानगढ़ वासनी देवी की प्राण प्रतिष्ठा में लिया हिस्सा
क्या आप भी ऑफिस में अक्सर झपकी या नींद आने की समस्या से परेशान रहते हैं? अगर हां तो इन टिप्स को करे फॉलो
क्या आप भी ऑफिस में अक्सर झपकी या नींद आने की समस्या से परेशान रहते हैं? अगर हां तो इन टिप्स को करे फॉलो
हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय खेल मील का पत्थर होगा साबित – सीएम धामी
हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय खेल मील का पत्थर होगा साबित – सीएम धामी
देवभूमि के हीरो हैं पदक विजेता – रेखा आर्या
देवभूमि के हीरो हैं पदक विजेता – रेखा आर्या

सीएम ममता का हास्यास्पद तर्क

सीएम ममता का हास्यास्पद तर्क

पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) टीम पर हमले और फिर एफआईआर, चोरी और सीनाजोरी का मामला है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार की नजर में कोई भी केंद्रीय जांच एजेंसी; एनआईए, ईडी या सीबीआई हो, वे सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निजी एजेंसियां हैं। इनका इस्तेमाल वे सूबे की सत्ता हासिल करने में करते हैं। लिहाजा, तृणमूल कांग्रेस (तृमूकां) ने निर्वाचन आयोग से मिलकर अनुरोध किया है कि वह भाजपा का चुनावी हित साधने में जांच एजेंसियों के दुरु पयोग रोके। तृमूकां का वहां अपनी बात रखने और उस पर उचित कार्रवाई की आशा का पूरा अधिकार है। पर अंधाधुंध विरोध में ममता इस बात को भूल जाती हैं कि वे केवल तृमूकां की अभियानी नेता भर नहीं हैं।

वे मुख्यमंत्री जैसे एक संवैधानिक पद पर हैं, जिसका काम प्रदेश के साथ राष्ट्रीय एकता, सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा का भी है। यह तभी हो सकता है कि जब राज्य एवं संघ के कर्त्तव्यों का पालन किया जाए। पहले ईडी और अब एनआईए मामले में ऐसा नहीं हुआ है। एनआईए की टीम 2022 के एक आतंकवादी मामले में दो आरोपितों को गिरफ्तार करने पहुंची थी, उस पर उनके समर्थकों, जिन्हें कांग्रेस नेता अधीर रंजन ‘दीदी के गुंडे’ कहते हैं, ने हमला कर दिया। मुख्यमंत्री एनआई टीम की कार्रवाई का सपोर्ट करने, उसे पुलिस सुरक्षा देने और हमलावरों की गिरफ्तारी का निर्देश देने के बजाय हास्यास्पद  तर्क दे रही हैं।

ममता मुख्यमंत्री हैं, उनके अधीन पुलिस समेत राज्य की कई जांच एजेंसियां हैं, जिनकी रात की रेड एक रूटीन-वर्क है। इसी बिना पर एनआईए की रेड का विरोध गैरजिम्मेदाराना है। ममता यह भी जानती हैं कि आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए गई कोई भी टीम, अगर वह पुलिस से अभिरक्षित नहीं है तो गुस्साए परिजनों के हमले का खुला द्वार होती है। बदसलूकी का उस पर इल्जाम तो मामूली बात है जबकि यह कानूनी कार्रवाई में बाधा डालने और अफसरों पर हमले का मामला था, जिसकी प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

ममता क्या बताएंगी कि संदेशखालि का मामला इतनी ही फुर्ती से क्यों दर्ज नहीं हो सका था? दरअसल, एनआईए प्रकरण से ममता सरकार में संरक्षित आतंकवाद की फिर पोल-पट्टी खुल गई है। ऐसा करके वे चंद वोटों को ही गारंटिड कर सकी हैं। उसी समुदाय के अधिकतर लोगों एवं सूबे का भरोसा हार गई हैं, जिनकी कामना आतंकवाद-मुक्त शांतिपूर्ण-सहअस्तित्व की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top