Flash Story
निकाय चुनाव- पर्यवेक्षकों की टीम आज पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे नामों के पैनल
निकाय चुनाव- पर्यवेक्षकों की टीम आज पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे नामों के पैनल
हमारी टीम घर-घर जाकर संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना के लिए करेगी पंजीकरण- अरविंद केजरीवाल
हमारी टीम घर-घर जाकर संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना के लिए करेगी पंजीकरण- अरविंद केजरीवाल
चोटिल हुए भारतीय टीम के कप्तान, 26 दिसंबर से शुरु होने वाले चौथे सीरीज के मुकाबले पर छाया संकट 
चोटिल हुए भारतीय टीम के कप्तान, 26 दिसंबर से शुरु होने वाले चौथे सीरीज के मुकाबले पर छाया संकट 
साल 2047 में भारत को विकसित बनाने में भारतीय कामगारों की रहेगी अहम भूमिका- प्रधानमंत्री मोदी 
साल 2047 में भारत को विकसित बनाने में भारतीय कामगारों की रहेगी अहम भूमिका- प्रधानमंत्री मोदी 
कॉकटेल के सीक्वल पर लगी मुहर, शाहिद कपूर के साथ कृति सेनन और रश्मिका मंदाना मचाएंगी धमाल
कॉकटेल के सीक्वल पर लगी मुहर, शाहिद कपूर के साथ कृति सेनन और रश्मिका मंदाना मचाएंगी धमाल
ट्रिपल जश्न के लिए तैयार हुई पहाड़ों की रानी, यातायात व्यवस्था को लेकर पुलिस-प्रशासन ने तैयारियों को दिया अंतिम रुप 
ट्रिपल जश्न के लिए तैयार हुई पहाड़ों की रानी, यातायात व्यवस्था को लेकर पुलिस-प्रशासन ने तैयारियों को दिया अंतिम रुप 
सर्दियों में आइसक्रीम खाना सही है या नहीं? जानिए डाइटिशियन की राय
सर्दियों में आइसक्रीम खाना सही है या नहीं? जानिए डाइटिशियन की राय
बाबा साहेब के अपमान पर कांग्रेस ने किया उपवास, भाजपा को कोसा
बाबा साहेब के अपमान पर कांग्रेस ने किया उपवास, भाजपा को कोसा
महाकुंभ में उत्तराखंड का होगा अपना पवेलियन, प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने की निःशुल्क भूमि आवंटित
महाकुंभ में उत्तराखंड का होगा अपना पवेलियन, प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने की निःशुल्क भूमि आवंटित

महंगे एक्सप्रेस-वेज ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं

महंगे एक्सप्रेस-वेज ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं

सिर्फ ऊंचे टॉल टैक्स वाले महंगे एक्सप्रेस-वेज (जो आम जन की पहुंच से बाहर हों) ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। असल कसौटी यह है कि एक्सप्रेज-वेज से उतरने के बाद शहर और गांवों में ऐसे निर्माणों के कारण जिंदगी कितनी सहूलियत भरी हुई है।

लखनऊ में चारबाग स्टेशन के बाहर नौका चलते देखना कौतुक से भरा अनुभव है। वाराणसी में शहर के अंदर जगह-जगह तालाब जैसा नज़ारा बनना उससे कोई कम तजुर्बा नहीं है। ठीक ही कटाक्ष किया गया है कि वादा वाराणसी को क्योटो (जापान की स्मार्ट सिटी) बनाने का था, लेकिन उसे वेनिस (इटली का मशहूर नगर जहां शहर के अंदर मौजूद झीलों में नौकाएं चलती हैं) बना दिया गया। यह तो सिर्फ दो मिसालें हैं।

जल जमाव के शिकार शहरों की सूची रोज लंबी होती जा रही है। सोमवार सुबह-सुबह खबर आई की महानगर मुंबई में रात में हुई बारिश से जगह-जगह पानी भर गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वैसा नज़ारा पैदा हुए अभी कुछ रोज ही गुजरे हैं। यानी महानगर से लेकर छोटे शहरों तक में इस मामले में समरूपता बनती जा रही है। एयरपोर्ट्स के अंदर पानी घुसना और ट्रेनों से लेकर रेलवे स्टेशनों तक पर ऊपर से रिसते पानी से झरने जैसा दृश्य बनना आम हो गया है। यह उस देश का हाल है, जहां “तेजी से विकसित होते इन्फ्रास्ट्रक्चर” की कहानियां इस तरह फैली हैं कि देशवासी अक्सर उस पर गर्व करते दिखते हैं।

ये कहानियां दूर-दूर तक फैली हैं। कुछ समय पहले मशहूर ब्रिटिश पत्रिका द इकॉनमिस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में इसे “माउथवाटरिंग” इन्फ्राक्टक्चर निर्माण कहा था। बहरहाल, आम भारतवासियों के मुंह में इस निर्माण को देख कर पानी भले ना आता हो, लेकिन उन्हें अपने चारों ओर भरे पानी को चीरते हुए जरूर गुजरना पड़ रहा है। तो अब जरूरी हो गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के बारे में नई समझ बनाई जाए। सिर्फ ऊंचे टॉल टैक्स वाले एक्सप्रेस-वेज (जो आम जन की पहुंच से बाहर हों) ही इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। असल कसौटी यह है कि एक्सप्रेज-वेज से उतरने के बाद शहर और गांवों में ऐसे निर्माणों के कारण जिंदगी कितनी सहूलियत भरी हुई है। वैसे तो हर मौसम में इस कसौटी पर हमारी बस्तियां फेल होती हैं, लेकिन इस वर्ष की बरसात में टूटते पुलों, सडक़ों में पड़ती दरार, एयरपोर्ट और रेलवे ढांचे में घुसते पानी, आदि ने कुछ ज्यादा पोल खोल दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top