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मंत्री नदारद, मुख्यमंत्री धामी वन मैन आर्मी की तरह संभाल रहे हर विपदा में मोर्चा

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-मुख्यमंत्री धामी ने देशभर में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव से जुड़े सभी कार्यक्रम किये रद्द

देहरादून। उत्तराखंड में वनाग्नि हो या फिर चारधाम यात्रा व्यवस्था, सभी विपदा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अकेले जूझ रहे हैं। ऐसा लग रहा कि मंत्रियों की फौज तो यहां सिर्फ कुर्सी और सुख-सुविधा का लुत्फ उठाने के लिए हैं। खासकर वनाग्नि जैसी बड़ी आपदा जिसमें प्रत्येक वर्ष मानव जनित आग से वन संपदा एवं वन्य प्राणियों को भयंकर क्षति होती है। वहीं सुगम व सुरक्षित चारधाम यात्रा को लेकर भी मुख्यमंत्री लगातार बैठके कर रहें हैं। मुख्यमंत्री को मोर्चे पर अकेला जूझता देख विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। विपक्ष राज्य में मंत्रियों की मौजूदगी पर सवाल उठा रहा है।

  

राज्य में इन दिनों वनाग्नि की घटनाएं पहाड़ से लेकर मैदान तक कहर बरपा रही हैं। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मतदान के अगले दिन यानी 20 अप्रैल को वनाग्नि के बचाव को लेकर पहली बैठक ली। मुख्यमंत्री ने अब तक 4 बड़ी बैठकें तथा वन और इससे जुड़े अफसरों को जरूरी निर्देश दे चुके हैं। मुख्यमंत्री धामी ने लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में प्रस्तावित सभी कार्यक्रम रद कर वनाग्नि, चारधाम यात्रा व्यवस्था आदि को लेकर मोर्चा संभाल लिया है। हर विपदा में अकेले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जूझते नजर आ रहे हैं। यही स्थिति सिलक्यारा सुरंग हादसे से लेकर जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर भी देखने को मिली। जहां अकेले मुख्यमंत्री ने दिनरात आपदा से निपटने को मोर्चा संभाले रखा और फंसे हुए श्रमिकों को कुशलता पूर्वक बाहर निकालने में सफलता पाई।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज रुद्रप्रयाग पहुंचकर जंगल में बिखरी हुई पिरूल की पत्तियों को एकत्र करते हुए जन-जन को इसके साथ जुड़ने का संदेश दिया। पिरूल की सूखी पत्तियां वनाग्नि का सबसे बड़ा कारण होती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा मेरा प्रदेश की समस्त जनता से अनुरोध है कि आप भी अपने आस-पास के जंगलों को बचाने के लिए युवक मंगल दल, महिला मंगल दल और स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर बड़े स्तर पर इसे अभियान के रुप में संचालित करने का प्रयास करें।

मुख्यमंत्री ने कहा वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ’ मिशन पर भी कार्य कर रही है। इस मिशन के तहत जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल कलेक्शन सेंटर पर ₹50/किलो की दर से पिरूल खरीदे जाएंगे। इस मिशन का संचालन पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा किया जाएगा इसके लिए ₹50 करोड़ का कार्पस फंड पृथक रूप से रखा जाएगा।

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