Flash Story
अमेरिका-चीन व्यापार समझौते की नई शुरुआत, 90 दिनों के लिए टैरिफ में राहत
अमेरिका-चीन व्यापार समझौते की नई शुरुआत, 90 दिनों के लिए टैरिफ में राहत
“ग्रामीणों के लिए एक और पहल, चकराता में आयोजित किया जाएगा बहुउद्देशीय शिविर”
“ग्रामीणों के लिए एक और पहल, चकराता में आयोजित किया जाएगा बहुउद्देशीय शिविर”
भारतीय क्रिकेट को एक और झटका, विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से लिया संन्यास
भारतीय क्रिकेट को एक और झटका, विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से लिया संन्यास
मुख्यमंत्री धामी ने पूर्णागिरी मंदिर निर्माण कार्य का किया निरीक्षण, समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण कार्य के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने पूर्णागिरी मंदिर निर्माण कार्य का किया निरीक्षण, समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण कार्य के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने किया भारत-नेपाल सीमा पर निर्माणाधीन मार्ग का निरीक्षण
मुख्यमंत्री धामी ने किया भारत-नेपाल सीमा पर निर्माणाधीन मार्ग का निरीक्षण
भारत की सामरिक शक्ति को नई उड़ान, यूपी में शुरू हुई ब्रह्मोस टेस्टिंग फैसिलिटी, राजनाथ सिंह ने वर्चुअली किया शुभारंभ
भारत की सामरिक शक्ति को नई उड़ान, यूपी में शुरू हुई ब्रह्मोस टेस्टिंग फैसिलिटी, राजनाथ सिंह ने वर्चुअली किया शुभारंभ
बनबसा पहुंचे मुख्यमंत्री धामी, भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा व्यवस्थाओं का लिया जायजा
बनबसा पहुंचे मुख्यमंत्री धामी, भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा व्यवस्थाओं का लिया जायजा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरबंश कपूर मेमोरियल कम्युनिटी हॉल का किया उद्घाटन
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरबंश कपूर मेमोरियल कम्युनिटी हॉल का किया उद्घाटन
बलूचिस्तान में बीएलए का हिंसक अभियान, सुरक्षा एजेंसियों पर किये ताबड़तोड़ हमले
बलूचिस्तान में बीएलए का हिंसक अभियान, सुरक्षा एजेंसियों पर किये ताबड़तोड़ हमले

कानून का भय ही नहीं

कानून का भय ही नहीं

आखिर देश में कानून और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का यह हाल क्यों हो गया है कि एक कंपनी उसकी तनिक परवाह नहीं करती? क्या इसका कारण गुजरे वर्षों में हुई बड़ी परिघटनाएं नहीं हैं, जिनमें कानून के राज की धज्जियां उड़ाई गई हैं? सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही इस वजह से शुरू की है कि इस कंपनी ने उसके पहले के आदेश का पालन नहीं किया। कोर्ट ने अपनी दवाओं के बारे में मीडिया में भ्रामक विज्ञापन देने से उसे मना किया था। लेकिन कंपनी ने कोर्ट में हलफनामा देने के बावजूद उसकी परवाह नहीं की। जैसाकि कि दो जजों की पीठ ने कहा, यह कंपनी अपने इश्तहार में औषधि एवं जादू-टोना उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम-1954 का उल्लंघन कर रही है।

ऐसा खुलेआम चल रहा है और केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है। न्यायालय ने इस पर आक्रोश जताया। आयुष मंत्रालय से कहा- सारे देश की आंख में धूल झोंकी गई है। और आपने अपनी आंख बंद कर रखी है। दो साल से आप इस महत्त्वपूर्ण घटना (यानी न्यायिक आदेश) का इंतजार कर रहे हैं, जबकि औषधि कानून से खुद यह स्पष्ट है कि ऐसे विज्ञापन प्रतिबंधित हैं। यह मामला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट ले गया है। अब एक बार फिर से कोर्ट ने प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन या प्रसारण पर रोक लगाने को कहा है। मगर इस क्रम में यह विचारणीय है कि आखिर देश में कानून और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का यह हाल क्यों हो गया है कि एक कंपनी उसकी तनिक परवाह नहीं करती? क्या इसका कारण गुजरे वर्षों में हुई बड़ी परिघटनाएं नहीं हैं, जिनमें खुद सत्ता-तंत्र के ऊंचे स्तरों पर बैठे लोगों के संरक्षण में कानून के राज की धज्जियां उड़ाई गई हैं?

जब एक स्तर पर ऐसी घटना होती है और सरकार से लेकर न्यायपालिका तक उसकी परवाह नहीं करतीं, तो फिर सबको यही संदेश जाता है कि कानून सबके लिए समान नहीं है, ना ही यह सबसे ऊपर है। पतंजलि आयुर्वेद जैसी कंपनियां धन और सत्ता-तंत्र तक पहुंच के लिहाज से प्रभावशाली मानी जाती हैं। ऐसे में अगर उसके अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनादर किया, तो उसे आज के व्यापक संदर्भ में रखकर ही देखा जाएगा। उस संदर्भ में जिसमें रसूखदार लोग खुद को कानून से ऊपर समझने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top