Flash Story
क्या आपके चेहरे पर भी हैं दाग-धब्बे, तो इन घरेलू नुस्खों की मदद से कर सकते हैं गायब
क्या आपके चेहरे पर भी हैं दाग-धब्बे, तो इन घरेलू नुस्खों की मदद से कर सकते हैं गायब
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने लिए कई बड़े फैसले
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने लिए कई बड़े फैसले
मुख्य सचिव ने बीएसएनएल, एयरटेल एवं जियो नेटवर्क के राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ की बैठक
मुख्य सचिव ने बीएसएनएल, एयरटेल एवं जियो नेटवर्क के राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ की बैठक
हेल्थ रिकॉर्ड लिंकेज में उत्तराखंड देशभर में दूसरे स्थान पर
हेल्थ रिकॉर्ड लिंकेज में उत्तराखंड देशभर में दूसरे स्थान पर
सीएम पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के दो घंटे के भीतर शासनादेश जारी
सीएम पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के दो घंटे के भीतर शासनादेश जारी
मुख्यमंत्री धामी ने नव निर्मित ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक काशीपुर, हरिद्वार व ऋषिकेश का किया लोकार्पण 
मुख्यमंत्री धामी ने नव निर्मित ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक काशीपुर, हरिद्वार व ऋषिकेश का किया लोकार्पण 
दूधारखाल में शराब का ठेका बंद होने पर स्थानीय जनता ने महाराज का जताया आभार
दूधारखाल में शराब का ठेका बंद होने पर स्थानीय जनता ने महाराज का जताया आभार
मुख्यमंत्री धामी ने राजकीय क्रांति दिवस मेले में किया प्रतिभाग 
मुख्यमंत्री धामी ने राजकीय क्रांति दिवस मेले में किया प्रतिभाग 
आईपीएल 2025– सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज 
आईपीएल 2025– सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के बीच मुकाबला आज 

प्रकृति से लडकर कोई आज तक जीत नहीं सका

प्रकृति से लडकर कोई आज तक जीत नहीं सका

उत्तराखंड स्थित केदारनाथ में गौरीकुंड के पास पहाड़ी से पत्थर नीचे गिरने के कारण तीन लोगों की मौत वाकई दुखद है। हादसे में पांच लोग गंभीर रूप से जख्मी हैं।

दरअसल, पहाड़ों में बारिशों के कारण अक्सर ही जमीन खिसकने (लैंड स्लाइड) के मामले होते रहते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि लैंड स्लाइड होने के कारण ही यह हादसा हुआ है। हादसा रविवार सुबह हुआ। पहाड़ से बड़े-बड़े पत्थर गिरने की घटना तीन स्थानों पर हुई। गौर करने वाली बात यह है कि गौरीकुंड-जहां हादसा हुआ है-वहां से केदारनदाथ धाम तक 16 किलोमीटर लंबे पैदल यात्रा मार्ग पर कई संवेदनशील क्षेत्र हैं, जहां हल्की बारिश में ही पहाड़ से पत्थर और मलबा गिरने लगता है।

यह पूरा स्ट्रेच भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। इस मामले में कुछ ऐसा हुआ कि उस दिन भारी बारिश हो रही थी और श्रद्धालु यात्रा पर थे। उन्हें इस आशंका का भान ही न हो सका। यहां प्रशासन की जिम्मेदारी को परखना जरूरी बन जाता है। जब यह बात वहां के प्रशासन और आपदा प्रबंधन को मालूम था तो फिर यात्रियों को इसकी जानकारी देना उनका फर्ज था। वैसे भी केदारनाथ में इससे पहले कई हादसे हुए हैं।

बीते आठ वर्षो में वर्षाकाल के दाौरान इस मार्ग पर हादसे में 19 व्यक्तियों को जान गंवानी पड़ी। इस नाते वहां के प्रशासन को इसकी तैयारियां चौकस रखनी चाहिए थी। यह घनघोर लापरवाही का मामला है। इसकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए थी। हालांकि अब प्रशासन अपनी साख बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, मगर यह सब कवायद यात्रा शुरू होने से पहले होनी चाहिए थी। ताजा निर्देश के मुताबिक शाम 5 बजे से दूसरे दिन सूर्योदय तक केदारनाथ पैदल मार्ग पर आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।

यात्रियों की भी जिम्मदारी है कि वो खुद से खतरा मोल न लें। अगर मौसम साफ है और यात्रा में कोई व्यवधान की अग्रिम सूचना नहीं है तभी आगे बढ़ा जा सकता है। प्रकृति से लडक़र कोई आज तक जीत नहीं सका है। सभी लोगों को उसके रौद्र रूप की वजहों की तलाश करनी होगी और उसका सम्मान भी करना होगा। पहाड़ी राज्यों में लोगों की जरूरत से ज्यादा आवाजाही और अंधाधुंध निर्माण के कायरे पर बहुत सोच-समझकर आगे बढऩा होगा। प्रकृति के साथ तारतम्य बनाने और उसके अनुरूप चलने से ही जान-माल के नुकसान से बचा जा सकता है। यह बात हर किसी को अपने जेहर में रखनी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top