Flash Story
स्टाइलिश पिंक लहंगे में नुसरत भरूचा ने बिखेरा जलवा, गॉर्जियस अवतार ने बढ़ाया इंटरनेट का तापमान
ऊर्जा निगमों में ब्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर हाईकार्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे एडवोकेट विकेश सिंह नेगी
उत्तराखंड बनेगा राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों में हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने वाला पहला राज्य 
मेडिसिन बॉल टॉस एक्सरसाइज के जरिए बढ़ेगी ताकत, जानिए इससे जुड़ी अहम जानकारी
दुर्घटनाओं का बढ़ना चिंता का विषय, रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक उपायों पर दिया जाए ध्यान- मुख्यमंत्री धामी 
चौथे टी20 मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 135 रनों से हराया, 3-1 से सीरीज की अपने नाम 
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष में लगी भीषण आग, 10 मासूमों की मौत
मुख्यमंत्री धामी ने ‘आदि गौरव महोत्सव’ कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
अमेरिका के साथ भारत के संबंध अब भी अच्छे

पीओके में बढ़ता जा रहा है जनता का गुस्सा

विवेक शुक्ला
जब हमारी कश्मीर घाटी में लोकसभा चुनाव का प्रचार जारी है, तब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बहुत बड़े हिस्से में अवाम सड़कों पर है।  जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से मात्र 130 किलोमीटर दूर पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद और मीरपुर जैसे प्रमुख शहर में जनता सरकार से दो-दो हाथ करना चाहती है।  जनता पीओके सरकार और देश की संघीय सरकारों से अपना हक मांग रही है।  पीओके में जब आंदोलन चल रहा है, तब भारत के लोकसभा चुनाव की कैंपेन में पीओके का जिक्र हो रहा है।  भाजपा नेता एवं गृहमंत्री अमित शाह ने बीते रविवार कहा कि पीओके भारत का है, हम उसे लेकर रहेंगे।  पीओके को भारत में मिलाने को लेकर भारतीय संसद का एक अहम प्रस्ताव भी है।

पीओके की बिगड़ती स्थिति के कारण पाकिस्तान के रहनुमाओं की रातों की नींद उड़ गयी है।  पाकिस्तान तो भारत के जम्मू-कश्मीर पर बार-बार अपना दावा करता है, पर दुनिया देख रही है कि उसके कब्जे वाला कश्मीर जल रहा है।  पीओके का अवाम बिजली की भारी-भरकम बिलों और आटे के आसमान छूते दामों के कारण नाराज है।  सोशल मीडिया के दौर में पीओके की जनता देख रही है कि भारत के कश्मीर के लोग कम से कम बिजली के बिलों या आटे की आसमान छूती कीमतों के कारण तो नाराज नहीं है।  वहां अन्य मसले हो सकते हैं, पर कुल मिलाकर जीवन सुकून भरा है।  पीओके में ताजा हिंसक आंदोलन का तात्कालिक कारण है कि पाकिस्तान सरकार ने आटे की कीमतों को कम करने की मांग को मानने से इंकार कर दिया है।

बिजली के बिल कम करने पर तो सरकार आंदोलनकारियों से बात करने को वैसे भी तैयार नहीं है।  दरअसल, पीओके में बवाल तब शुरू हुआ जब अवामी एक्शन कमेटी ने आठ मई, 2023 को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किये थे।  इससे पहले, बीते वर्ष अगस्त में बिजली बिल पर नये कर लगाने से स्थिति बिगड़ने लगी थी।  करों के विरोध में मुजफ्फराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू किया जिन्हें स्थानीय व्यापारियों का समर्थन मिला।  प्रदर्शन जल्दी ही रावलकोट और मीरपुर जिलों तक फैल गया।  बीते वर्ष 17 सितंबर को मुजफ्फराबाद में एक बैठक के बाद आवामी एक्शन कमेटी ने आंदोलन को राज्यव्यापी करने का निर्णय लिया।  इसके बाद पीओके में बिजली बिल जलाये जाने लगे।  इससे नाराज सरकार ने कई आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया, पर जनता के दबाव में उन्हें रिहा कर दिया गया।

इसके बाद आंदोलनकारियों की तरफ से सरकार को 10 सूत्रीय मांगों की सूची सौंपी गयी।  जिसमें आटे पर सब्सिडी और बिजली बिलों में कमी की मांगें शामिल थीं।  पर सरकार इन मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हुई।  इससे नाराज आवामी एक्शन कमेटी ने मुजफ्फराबाद स्थित पीओके विधानसभा तक मार्च करने का आह्वान किया।  नौ मई को डोडियाल में एक डिप्टी कमिश्नर पर उस समय हमला हुआ जब उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने के आदेश दिये।  दस मई को पीओके के प्रदर्शनकारी मुजफ्फराबाद की ओर मार्च करने निकले, जिससे गंभीर झड़पें हुईं।  एक आला पुलिस अफसर की मौत हो गयी।  इसके बाद से ही पीओके के मुख्यमंत्री अनवर उल हक सरकार को जनता के गुस्से से दो-चार होना पड़ रहा है।  फिलहाल लगता तो यही है कि आवामी एक्शन कमेटी का अपनी मांगों के समर्थन में चल रहा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जाती।  हां, सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच रावलकोट में बातचीत फिर से शुरू जरूर हो गयी है।  परंतु, यह देखने वाली बात है कि क्या पाकिस्तान सरकार, जो पीओके सरकार के साथ खड़ी है, प्रदर्शनकारियों की मांगें स्वीकार करेगी? फिलहाल लगता तो नहीं है।  प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तो प्रदर्शनकारियों पर एक्शन लेने के संकेत दे रहे हैं।

इस बीच, लगता है कि कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर और फारूक अब्दुल्ला को पीओके पर भारतीय संसद में पारित प्रस्ताव की जानकारी ही नहीं है।  बाइस फरवरी, 1994 विशिष्ट दिन है भारत की कश्मीर नीति की रोशनी में।  उस दिन संसद ने एक प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर पीओके पर अपना अधिकार जताते हुए कहा था कि पीओके भारत का अटूट अंग है।  पाकिस्तान को उसे छोड़ना होगा जिस पर उसने कब्जा जमाया हुआ है।  यहां संसद के प्रस्ताव को संक्षिप्त रूप में लिखना सही रहेगा, ‘सदन भारत की जनता की ओर से घोषणा करता है- (क) जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा।  भारत के इस भाग को देश से अलग करने का हरसंभव तरीके से जवाब दिया जायेगा।  (ख) भारत में इस बात की क्षमता और संकल्प है कि वह उन नापाक इरादों का मुंहतोड़ जवाब दे जो देश की एकता, प्रभुसत्ता और क्षेत्रीय अंखडता के खिलाफ हों, और मांग करता है- (ग) पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के उन इलाकों को खाली करे जिसे उसने कब्जाया हुआ है। ’ बहरहाल, यह आने वाला समय ही बतायेगा कि पीओके में चल रहा आंदोलन शांत होता है या नहीं।  इसके अतिरिक्त, पीओके का भारत में विलय किस तरह से होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top